
शैक्षिक योग्यता:
हिन्दी विभाग,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी से बीए (ऑनर्स),एम ए (हिन्दी) एवं शोध उपाधि (पी. एच-डी) ‘मनन्न द्विवेदी गजपुरी और उनका साहित्य’विषय पर प्राप्त की।
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में 40 से अधिक आलेख/शोध पत्र प्रकाशित,एवं 10 पुस्तकों में अध्याय। लगभग 25 संगोष्ठियों में प्रतिभाग एवं व्याख्यान।
संगोष्ठी/कार्यशाला आयोजित
- राष्ट्रीय संगोष्ठी : 5
- कार्यशाला: 2
- आमंत्रित व्याख्यान: 15
संपादन:
वीक्षा पत्रिका का संपादन, लोकायत प्रकाशन, वाराणसी , 2009 से.
पुस्तकें:
- मन्नन द्विवेदी गजपुरी रचनावली का संपादन (केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय,भारत सरकार से अनुदान प्राप्त)
- कविता संग्रह “सपने पूरे तो हों”, प्रतिश्रुति प्रकाशन, कोलकाता। 2017
- कविता पुस्तिका ‘यही हैं मेरे लोग’साखी पत्रिका, प्रेमचंद साहित्य संस्थान से प्रकाशित। 2010
- भारतीय साहित्य के निर्माता श्रृंखला के अंतर्गत मन्नन द्विवेदी गजपुरी पर विनिबंध (मोनोग्राफ) साहित्य अकेडमी, नई दिल्ली से प्रकाशित।
- आसिफाओं के नाम (संपादन), नवारुण प्रकाशन 2017
चयनित शोध पत्र/आलेख:
वर्ष |
क्र.सं. |
आलेख का शीर्षक |
पत्रिका का नाम |
अंक/ पृष्ठ/ ISSN |
---|---|---|---|---|
2022 |
1. |
स्मृतियों से बनती कहानियाँ |
बनास जन |
60-64/2231-6551 |
2. |
लाहौर का जो जिक्र तूने किया........ |
पाखी |
वर्ष 14/अंक 4/ 132-136 |
|
2021 |
3. |
भवानी प्रसाद मिश्र: तुम लिखते हो मैं बोलता हूँ |
विश्व हिन्दी पत्रिका |
2021/39-45/1694-2477 |
2020
2019 |
4. |
पूरबिहा का आत्मकथ्य |
चौपाल |
जनवरी 2020/ पृष्ठ310/23483466 |
5. |
सिरहाने मीर के आहिस्ते... |
साखी |
29-30, जून 2019/83-90/ 2231-5187 |
|
2017 |
6. |
देखी सुनी वह लोक की बातें |
चौपाल |
अंक-7/पृष्ठ.38-42/23483466 |
2017 |
7. |
कवित्त बनावन खेल करि जानो है |
सर्वनाम |
अंक-122/2348-2427 |
2016 |
8. |
कजरी: पूर्वाञ्चल के लोक जीवन का प्रतिरूप |
पुस्तक संस्कृति |
अंक:4/ पृष्ठ: 43-45/2582-9548 |
2015 |
9. |
मानुषखोर समय की कथा |
साखी |
अंक-25/पृ0284-287/ 2231-5187 |
10. |
भोजपुरी लोक साहित्य की प्रासंगिकता |
वीक्षा |
अंक-12/0975-3788 |